नीति-अनीति में, जो अंतर न कर पायें। वो समाज जीवन में, कुरीति ग्रस्त हो जायें। नीति-अनीति में, जो अंतर न कर पायें। वो समाज जीवन में, कुरीति ग्रस्त हो जायें।
नीति से समाज में, सबका हो कल्याण। अनीति-कुरीति का, जब हो दमन। जीवन हो खुशहाल। नीति से समाज में, सबका हो कल्याण। अनीति-कुरीति का, जब हो दमन। जीवन हो खुशहाल...
रोज ही अपने मन के, एक छोटे से हिस्से को, मार रहा था रोज ही अपने मन के, एक छोटे से हिस्से को, मार रहा था
सजग होकर यदि हम लड़े तो ना हो अज्ञात भय से ग्रस्त। सजग होकर यदि हम लड़े तो ना हो अज्ञात भय से ग्रस्त।