इतनी अब विकट परिस्थिति है कैसे लिख दूँ तुझे प्यार प्रिये। इतनी अब विकट परिस्थिति है कैसे लिख दूँ तुझे प्यार प्रिये।
मार्ग हो या न हो धूप हो या छाँव हो रहूँगा सदा मैं तत्पर मार्ग हो या न हो धूप हो या छाँव हो रहूँगा सदा मैं तत्पर
राहू केतु के मंशाओं को ना हम कभी बढ़ने देंगे ! राहू केतु के मंशाओं को ना हम कभी बढ़ने देंगे !
साथ सभी को आना होगा मिलकर कदम बढ़ाना होगा। साथ सभी को आना होगा मिलकर कदम बढ़ाना होगा।
मानवता को जिजीविषा बना कर अपने गृह में ही ठहरते है मानवता को जिजीविषा बना कर अपने गृह में ही ठहरते है
कोरोनो की बाढ़ आई अब तुम खड़ी कर दो कश्तियां, समझाने से भी ना समझे तो तुम उजाड़ दोगे कोरोनो की बाढ़ आई अब तुम खड़ी कर दो कश्तियां, समझाने से भी ना समझे तो त...