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Rishabh Tomar

Abstract

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Rishabh Tomar

Abstract

कैसे लिख दूँ तुझे प्यार प्रिये

कैसे लिख दूँ तुझे प्यार प्रिये

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छाया वायरस का संकट है

और मौत खड़ी है कुठार लिये

इतनी अब विकट परिस्थिति है

कैसे लिख दूँ तुझे प्यार प्रिये


भू ने पहना है मास्क आज

हर फीका इसका गहना है

समझ नहीं आता मुझको

बन्द कमरों में कब तक रहना है


हर ओर मची है त्राहि त्राहि

लगता है सब बेकार प्रिये

इतनी अब विकट परिस्थिति है

कैसे लिख दूँ तुझे प्यार प्रिये


संकट अब बढ़ता जाता है

हर ओर उदासी छाई है

एक ओर प्रदूषण का खतरा

दूजी वायरस की खाई है


मानव जीवन है बीच भवर

और खतरे में मजधार प्रिये

इतनी अब विकट परिस्थिति है

कैसे लिख दूँ तुझे प्यार प्रिये


सारे बच्चे और बुजुर्गो को 

इक वायरस ने है कैद किया

लाखों लोग के जीवन को

इक झटके में है लील लिया


अब तो कुछ ऐसा लगता

खतरे में जीवन धार प्रिये

इतनी अब विकट परिस्थिति है

कैसे लिख दूँ तुझे प्यार प्रिये


हर ओर गहन सन्नटा है

मुँह बन्द लोग टकराते है

कॉलेज स्कूल सब बंद हुये

लोग भीड़ देख घबराते हैं


हालत बद से बदत्तर इतनी

ठप हुआ सारा संसार प्रिये

इतनी अब विकट परिस्थिति है

कैसे लिख दूँ तुझे प्यार प्रिये


अब छुट्टी भी बेकार लगे

सब मॉल सिनेमा यहाँ बन्द

दफ्तर घर से अच्छे थे पर

लेकिन अब वो है सभी बन्द


हालत अपनी भी बदतर है

क्योकि है मंद व्यापार प्रिये

इतनी अब विकट परिस्थिति है

कैसे लिख दूँ तुझे प्यार प्रिये


हालत अब कुछ ऐसी है

हर देश विश्व का काँप रहा

संकट ये जल्दी टल जाये

गहराई इसकी माप रहा


लेकिन कुछ समझ नहीं आया

होता है बंटाधार प्रिये

इतनी अब विकट परिस्थिति में

कैसे लिख दूँ तुझे प्यार प्रिये


संकट जीवन पर छाया है 

कोई विज्ञान नही सक्षम 

योग स्वच्छता अपना लो

बस बाकी यही एक मरहम


वरना ये विनाश सुनिश्चित है

होनी है हाहाकर प्रिये

इतनी अब विकट परिस्थिति है

कैसे लिख दूँ तुझे प्यार प्रिये


हाथों को धोलो मल मल कर

और धैर्य का साथ नही छोड़ो

एक सजग नगरिक बनकर के

अफवाहों के व्यूह को तोड़ो


बस जरा सावधनी बरतो

होगी इसकी भी हार प्रिये

इतनी अब विकट परिस्थिति है 

कैसे लिख दूँ तुझे प्यार प्रिये।


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