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MAHENDRA SINGH KATARIYA

Inspirational

4.0  

MAHENDRA SINGH KATARIYA

Inspirational

प्रतीक्षा

प्रतीक्षा

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आत्मीयता से आज भी 

उन्हीं की प्रतीक्षा में खड़ा।

अनजाने अनुराग वशीभूत

उसूलों पर निर्भय सा अड़ा।

दुष्कर हर मंजिल तक 

परिणाम जो भी हो भला

होकर सहज जज़्बाती

मुश्किल से डटकर लड़ा।


निश्छल इस जीवन में

आज भी उन्हीं इंतज़ार है।

संभवतः मधु मास में फिर

बह रही ऐसी ही बयार है।

स्नेह के बंधन से बंधी 

हमारी यह सारी ज़िंदगी

सच में इन अविस्मरणीय

यादों के वही हकदार है।



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