बेरोज़गारी
बेरोज़गारी
युवा देश का झेल रहा,बेरोज़गारी की मार।
शिक्षित होकर हुआ,बेकारी का शिकार।
दर-दर देखों भटक रहा,
पाता नहीं कहीं कोई काम।
निज भविष्य खातिर चिंतित,
मिलता उसे कभी ना आराम।
अथक प्रयत्न करता हरदम,
शायद चमके उसका दीदार।
उसके अस्तित्व पर लगा ग्रहण,
मिला बेरोज़गारी का अभिशाप।
सोचें हुकूमत अगर कुछ ऐसा,
सिद्ध हो उसके जीवन में वरदान।
सदा सफल हो जिंदगी उसकी
हो जाए दुःख दर्दों का परिहार।
राष्ट्रहित में चिंतन मनन के साथ,
उन्नत भाव प्रगति हो सदा विशाल।
चारित्रिक मानसिक शक्तियों संग,
हो उसकी दक्षताओं का विकास।
सफल सिद्ध हो निज संजोए सपने,
ख़ुद-ब-ख़ुद हो अस्तित्व में निखार।
