हमारा गॉंव
हमारा गॉंव
समय की रफ्तार के संग,
हमारा गॉंव बदल गया।
पहले सा कुछ भी नहीं,
लगता जिससे यह नया।...
पाश्चात्य संस्कृति की दौड़ में।
सबसे आगे बढ़ने की होड़ में।
कमाया कितना कुछ आज में।
बस व्यस्त सभी इसी काज में।
दिखती न अपनों बीच वह हया।...
घर मकानों में गहरा बदलाव।
भाइयों में भी हुआ अलगाव।
निर्जन होती चौपालें बदहाल।
विकास का उन्माद नौनिहाल।
मिलें जो कहीं भाव जीव दया।...
कटे पेड़ तो श्वासों पर पहरा लगा।
पगडंडियों पर सड़क जाल बिछा।
गॉंव गुवाड़ में अब वे मैदान कहॉं।
बड़ी - बड़ी इमारतें हैं खड़ी जहॉं।
रहन - सहन पहनावा बदल गया।...
