दस्तूर
दस्तूर
यही ज़माने का दस्तूर है
जो आज पास है, वो कल दूर है
दोस्त, तुझे किस बात का ग़ुरूर है
जो आज तेरा है, वो कल किसी और का होगा
सफर का मंजर कल बदला होगा
बैंक में जो पैसे हैं तेरे, कल उसका मालिक कोई और होगा
मंजिल जो दूर थी बहुत, आज तेरे पास होगी
जो बच्चे आपके पीछे कल भागते थे
वो आज किसी और की याद में गिरफ्त होगा
मोह माया का बोझ जरा हल्का कर लो
वक्त से पहले ख्याल कर लो
अपने लिए कुछ पल निकालो
खुद से ही अब थोड़ा प्यार कर लो |