़आपके सामने
़आपके सामने
मत होने दो बुराई अपने सामने,
हर वक्त करो भलाई
बुराई का करो त्याग
लगा कर तो देखो दूखियों को गले कभी न टिकेगा
कोई भी कष्ट आपके सामने।
हर रोज नई सोच रखो
किसी पर न कोई बोझ रखो,
रखो दया भाव हमेशा,
रखो बुजुर्गों को सदा आपने सामने
बहुत मुश्किल से मिलता है जन्म इंसान का,
कर लो भला इस यहां में
हर किसी का, अगर चाहते हो
भलाई अपने सामने।
भूल चुका है इंसान क्या फर्ज है उसका,
छा गया है उसकी आंखों मै अंधेरा,
समय है अभी भी जाग
हो जाऐगा सबेरा अपने सामने।
कहे सुदर्शन रख सोच
ऐसी इंसान, मिले न दीन
दुखी कोई भी इस यहां में
फूल भी न मुरझाये अपने सामने।