सपूत
सपूत
इस धरती के माटी के लिए हूँ आ था उनका जन्म,
नहीं हूँ आ इस बार उनके घर में उनका आगमन l
वो जी जान से लड़े ताकि हम रहे सुरक्षित
पर माटी के वो सपूत माटी को ही हो गए अर्पित,
चलिए सुनता हूं आज उनकी कथा
हर हिंदुस्तानी में,
देश भक्ति का जोश भर देगी जो सुन ले उनकी गाथा।
उनकी की देख रेख में खुल के सांस लेता हूँ,
वीर गति को प्राप्त हूँ ए जो , उनको शीश झुकता हूं।
बेटा, पति, पिता थे वो जिनके,
मैं करता उन्हें धन्यवाद हूंl
कर्म पथ के थे वो अनुरागी, मैं तो उनका दास हूं।
जब वो आए तिरंगे में लिपटकर,
खूब रोया भी था उस दिन धरती जब वो,
छोड़ के चले गए हम मुस्कराकर।
देश याद रखेगा उनकी शहादत,
भारत माता के वो सपूत, मैं करता हूँ आपकी इबादत।
