स्वप्न सुंदर गढ़ो
स्वप्न सुंदर गढ़ो
कुछ है पाना अगर स्वप्न सुंदर गढ़ो।
सूर्य सा अपने पथ पर अकेले बढ़ो।।
कोई बाधा न पथ में मिले फिर कभी।
बढ़ चलो नित मनुजता की सीढ़ी चढ़ो।।
काम कोई कठिन ना तुम्हारे लिए।
धर के साहस निरंतर शिखर पे चढ़ो।।
करती स्वागत सफलता दिखेगी सदा।
लक्ष्य पाने को खुद राह अपनी गढो़।।
हार भी यदि मिले तो नहीं हारना।
हार का ठीकरा ना किसी पे मढ़ो।।
एक दिन हार उपहार बन जाएगी।
सूक्ष्म मन से सफलता की भाषा पढ़ो।।