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Rajan kumar sanjivani

Inspirational

4.5  

Rajan kumar sanjivani

Inspirational

खुद को इंसान रखो

खुद को इंसान रखो

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336


छोटा हो या कोई बड़ा सबका एहतराम करो

सड़क पार करो या हद, हादसों का भी ध्यान रखो


जाने कब क्या आफत आ जाये शहर में साहब

सो गाँव में भी कम से कम कच्चा मकान रखो


और गिरे हुए लोग भी यहाँ झुकाने की तलब रखते है

बेशक अभिमान नहीं मगर कुछ तो स्वाभिमान रखो


जिंदगी के सफर में हर चीज़ मिले लाज़िम नहीं

ठोकरें लाख मिले फिर भी दिल में अरमान रखो


ये जिससे तुम हाथ मिलाते रहते हो हाल तक न पूछेंगे

मियाँ तनहाई गर काटनी है तो खुद से पहचान रखो


लोग बड़े जालिम है यहाँ फूलों को भी मसल देते है

गर करनी है हिफाज़त तो घर में ही गुलदान रखो


हज़ार लोग हज़ार तरह की बाते करेंगे तुम्हारे बारे में

चुप नहीं करा सकते उन्हें सो बंद अपना ही कान रखो


भेड़िये नफरत फैलाएंगे मजहब के नाम पर हर रोज़

यारों अच्छा होगा गर खुद को इंसान रखो..


खुशियाँ भी आयेंगी तुम्हारे हिस्से में

बस थोड़ा सा इत्मीनान रखो..


तुम कुफ़्र हो संजीवनी लोग तुम्हें जीने नहीं देंगे

अच्छा रहेगा गर अभी से ही कब्र का इंतज़ाम रखो..

        



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