आज की ख़ुशी का शरबत
आज की ख़ुशी का शरबत
फ़िक्र भरी ये दुनिया दोज़ख से कोई कम नहीं
दुःख किसी के जीवन में होता कभी कम नहीं
जन्म हुआ किसी का तो खुशियाँ बहुत मनाते
गुज़र जाए अगर कोई तो अश्क़ों में डूब जाते
दौलत नहीं तो डर लगता हम कैसे जी पाएंगे
धनी बने तो डर लगता कि चोर लूट ले जाएंगे
चिन्ताओं की चिता बनी देख लो दुनिया सारी
इन्हीं चिन्ताओं ने रातों की नींद उड़ा दी सारी
हम सबने चिन्ताओं में खुद को इतना डुबाया
कारण इन चिन्ताओं का समझ हमें ना आया
आत्म चिन्तन किया तब सच समझ में आया
अपनी मर्जी से हमने चिन्ता का रोग लगाया
जीते हम सब कल में आज में ना कोई जीता
कल की चिन्ता का विष खुद हमको ही पीता
जियो यही सोचकर कल तो कभी ना आएगा
आज का दिन ही सारी खुशियां देकर जाएगा
मुख मीठा तुम करो दिलखुश मिठाई खाकर
खुशी आपके जीवन में ठहर जाएगी आकर
छोड़कर कल की चिन्ता आज में तुम जी लो
सबके संग आज की खुशी का शरबत पी लो।