नई सुबह
नई सुबह
काश कि अंत हो जाए...
इन बिगड़े हालातों का !
मिट जाए निशां...
इन जलते अंगारों का !!
हो जाए उदित...इक नई सुबह
मेरे चमन में !
हो प्रफुल्लित शांति सुमन...
मेरे, तुम्हारे.. हम सब के मन में !!
वैर-द्वेष भावना का अंत हो जाए,
हम एक थे....
चलो अब फिर से एक हो जाएँ !!!
ऐ इंसान....तू इंसान ही रह,
किसी शातिर का हथियार न बन!
बिछ जाए शतरंज...
पल भर में जिस पर
भूल कर भी...वो बिसात न बन!!
तमाशबीन हैं वो ,
बस तमाशा देखेंगे!
फूंक कर घर...
हमारे-तुम्हारे
धुएँ के निशान देखेंगे!!
वक्त है अभी भी...
कि सँभल जाएँ हम!
निकाल कर नफरतों के काँटे...
प्रेम पुष्प खिलाएँ हम!!
मैं या तुम न रहें...
अब हम बन जाएँ !
मुमकिन है तभी विश्व में....
हम अपना परचम लहराएँ!!!