बेटियाँ
बेटियाँ
1 min
249
रेत के घरौंदे बनाते-बनाते,
कब अपना घर बनाना सीख जाती हैं...
पता ही नहीं चलता...ये बेटियाँ,
कब बड़ी हो जाती हैं,
पता ही नहीं चलता!
छोटी-छोटी खुशियों के लिए,
आसमान सिर पर उठा लेती थी जो,
कब बड़े-बड़े दुख छिपाना सीख जाती हैं...
पता ही नहीं चलता... ये बेटियाँ,
कब बड़ी हो जाती हैं,
पता ही नहीं चलता!!