सपनों का शहर
सपनों का शहर
जहाँ जिंदगी चार दीवारों में कैद हो जाती है
लोग उसे बड़ा शहर कहते हैं।
जहाँ परिवार कमरों में सिमट जाता है
लोग उसे बड़ा शहर कहते हैं।
अपनों के चेहरों से ज्यादा
जहााँ अनजानों पे एतबार है,
लोग उसे बड़ा शहर कहते हैं।
न घर का वहा ऑगन,
न साथ बढ़ने का वक्त,
जहाँ भाग रहा इन्सान,
एक ही चक्कर में
लोग उसे बड़ा शहर कहते हैं।
भूल कर जहाँ रिश्तों के मायने,
बखिल्या है हर कोई यहाँ और जहाँ
लोग उसे बड़ा शहर कहते हैं।
यूँ तो यह सपनों से
भरा होता है बड़ा शहर
पर शायद खुद से दूर,
अपनों से पराया कर देता है
यह बड़ा शहर।