वफाई या बेवफाई
वफाई या बेवफाई
मैं कदर उस हर एक चीज़ की करता हूँ
जो तेरे दिल में एक हिस्सा रखती है।
कभी पूछना अपनी आँखों से मेरी बेगुनाही
वही तो है सच्ची हमसफ़र
जो याद हमारा हर एक किस्सा रखती है।।
अगर तू ना जान पाए मेरी वफाई उनसे
अपने दिल से तुम एक सवाल पूछ लेना
क्या कोई करता है इतनी वफ़ा
इक बेवफा के साथ
कोई दूसरा नहीं मिलेगा मुझ जैसा
जाओ इस जहाँ मैं हर जगह ढूंढ लेना
वफाई अगर ना कि होती
तो, अंजाम कुछ और होता
शायद तुम्हें वो पसंद नहीं आता
किसी को गलतफहमी में रखकर जिस्म लूटना
ऐसी फितरत नहीं है मेरी
अगर अनजाने में भी करता मैं ऐसा
तो ये मुझे हरगिज पसंद नहीं आता
वफा और बेवफ़ाई में उतना ही फर्क है
जितना.. मुझमें और तुझमें,
तेरा तो पता नहीं
पर करूँ बेवफ़ाई
हिम्मत नहीं है मुझमें।
समझने वाले समझ गए, की मैंने..
बातों ही बातों में उसे बेवफ़ा बोल दिया
जो राज दबा था मेरे सीने में पत्थर बनकर
वो भी आज मैंने जाने अनजाने खोल दिया