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राहुल द्विवेदी 'स्मित'

Drama Inspirational Others

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राहुल द्विवेदी 'स्मित'

Drama Inspirational Others

गाँव हमारा बदल रहा है

गाँव हमारा बदल रहा है

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नन्ही नन्ही किरणें लेकर, सुख का सूरज निकल रहा है ।

तोड़ पुरानी सभी बेड़ियाँ, गाँव हमारा बदल रहा है ।।


हर घर में शौचालय लेकर, आई है पुरवाई सी ।

खुशहाली चौखट पर आकर, बैठी है पहुनाई सी ।

रोगों की बुनियाद शौक से, यह परिवर्तन निगल रहा है...

तोड़ पुरानी.........।।


गिल्ली-डण्डा और कबड्डी, खाना और पढ़ाई भी ।

अब दिखती है हर बच्चे में, सपनों की अँगड़ाई भी ।

आज गर्व से गाँव- गाँव में, कल का भारत टहल रहा है ...

तोड़ पुरानी...........।।


हर लड़की अपने बूते, आज स्वयं चल निकली है ।

जरा सहारा पाकर उसने, चाल समय की बदली है ।

अब दहेज लाचारी वाला, पर्वत खुद ही पिघल रहा है...

तोड़ पुरानी........।।


आज युवा हाथों में कल की, बागडोर दे बैठे हैं ।

भारत के सपनों के सागर, में हिलोर दे बैठे हैं ।

अब कौशल विकास के बल पर, दुख का दानव दहल रहा है....

तोड़ पुरानी............।।



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