STORYMIRROR

Goldi Mishra

Drama

3  

Goldi Mishra

Drama

मोह

मोह

1 min
124


मोह 


ये पतझड़ अभी तक बीता क्यूं नहीं,

क्यों यह फिर मुस्कुराया नहीं?

     ये घौंसले फिर सूने क्यों,

इनके परिंदे घर छोड़ चले किस ओर?

    यह रेलगाड़ी फिर अपने ठिकाने आ रुकी,

      क्यों इस रेलगाड़ी में वो मुसाफिर आज फिर नहीं?


      यह कैसी है रुत,

जिसने खो दी है अपनी सुध?

     क्यों यह सुकून सु

कून सा नहीं,

क्यों इस सुकून में कोई ठहराव नहीं?

क्यों चाहत है पर इसमें एहसास नहीं,

क्यों शरीर है पर सांस नहीं?


     सब मोह सा लगे,

ये मोह न छूटे छूटे,

      यह लागन है कैसी,

कभी राधा कभी मीरा जैसी,

       लिखे रसखान कोई,

मेरी बात कोई,

लिखे वो मेरी हार रात,

लिखे मुझसे छूटी वो हर बरसात,


– गोल्डी मिश्रा 



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Drama