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AMAN SINHA

Drama Tragedy Others

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AMAN SINHA

Drama Tragedy Others

गुमशुदा

गुमशुदा

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गुमशुदा सा हो गया हूँ, ज़िन्दगी की राह में

गैर खुद से हो गया हूँ, अपनो की परवाह में

क्या सफर है ज़िन्दगी, ये ख़त्म होती ही नहीं

ओढ़ राखी है कफ़न, पर दफ़न होती ही नहीं


है कहाँ वो अनकहे से, जो शब्द मैंने खो दिए

क्रोध के कुछ बीज जैसे, अपने मन में बो दिए

लड़ना अपने हक़ के खातिर, क्यों मुझसे ना हो पाएगा

जोश मैंने खो दिया, जो लौट के कब आएगा


खोज ऐसे शख्स की जो रास्ता बता सके

मुझको मेरे अक्स का फिर आईना दिखा सके

खुशियां मेरे हक़ की थी जो, औरों की क्यों हो गयी

चाहतें सुकून की, बेचैनियों में खो गयी


मैं ना बदला लोग मुझको, आजमाते रह गए

लब ना खोला, लाख ताने लोग देते रह गए

खुल गया तो राज़ हूँ मैं रंग कई दिखाऊंगा

साथ जिसके मैं चला, अपने संग लेता जाऊँगा


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