तलाश
तलाश
नश्वर के पीछे, भागती हैं,
हमारी सोच की खामियाँ,
यह अल्हड़ सी ख़ोज,
और उसकी बदखुमारियाँ,
दिखती है साफ़,
अनन्त की हजारों कहानियाँ,
फिर भी भटकते हैं,
लूटा के हम जवानियाँ,
तराशतें हैं पत्थर,
करने को हीरे की तलाशियाँ,
धुआं कर रहे हैं, बस,
अपनी जिंदगानियाँ।
