मर्द
मर्द
1 min
277
अपनों की खुशियों के लिए वो झुठ बोलते हैं
शायद इसीलिए मर्द सच्चे नहीं होते
बच्चों के सपने उन्हें जल्द घर आने नहीं देते
शायद इसीलिए मर्द अच्छे नहीं होते
जिम्मेदारी के बोझ में वो इतना खो जाते हैं की
उसके ही घर में उसके किस्से नहीं होते
अपनों के लिए खुदकी खुशियों का वो गला घोंट देते हैं
हरबार गलती करनेवाले वो बच्चे नहीं होते
चांद में बेटी, बेटेे में खुदा को वो देखते हैं
वर्ना वो दर्द सहने में इतने कठोर नहीं होते
आज इतिहास तो दोहराता हैं खुदको लेकिन
इसमें कभी मर्द नाम के किरदार नहीं होते
