जिद
जिद
काग़ज़ बहुत जिद करता है
कलम ज्यादा ही हद करता है
अब शायरी तो लिखनी ही पड़ेगी
क्योंकी यह शायर भी तुम पर मरता है
शायद तुझे भी पता होगा
यह दिल भी तुझे लाईक करता है
तुम मेरी शायरी हो,
या तुम पर मेरी शायरी है
यह तो मुझे भी नहीं पता पर
मेरा दिल तुझे हर रोज याद करता है
तेरा चेहरा है, या आईना है
मेरा कलम भी हर बार सलाम करता है