इल्ज़ाम
इल्ज़ाम
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आजकल तो मेरा बुरा हाल है
ना जवाब है,ना कोई सवाल है,
ना नींद है ना अब कोई ख्वाब है
क्या खो गया है,क्या मेरा मलाल है?
उस बेचारी को क्यों इल्जाम दूं
हम ही फंसे हैं, हमारा ही जाल है,
गलतफहमियां सारी धुल गयी थीं
फिर भी दिल के आईने पर बाल है,
फिर भी उसे देखा करूँ या भूल जाऊं
अब ऐ दर्द दिल,तिरा क्या ख्याल है?