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WRITER AKSHITA JANGID

Abstract

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WRITER AKSHITA JANGID

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मोहब्बत

मोहब्बत

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किस्से, कहानी बन पन्नों पर जब उतरने लगते हैं

सपनों की डोली में, तब हर ख्वाब संजने लगते हैं।


वैसे, मोहब्बत का राज कभी जाहिर नहीं होता

बस ख्वाहिशों के दौर में अरमान जगने लगते हैं।


मोहब्बत का कोई लम्हा कभी बर्बाद नहीं होता

दिलों में प्यार बन वो सबके फिर संजने लगते है।


"उम्मीद" जिन्दगी जीने का एक जरिया बताया

तो कभी अपने ही हाथों ख्वाब पलने लगते हैं।


कसुरवार गर वो नहीं, तो कभी हम भी ना बने

मोहब्बत का फैसला मिलकर अब करने लगते हैं।


तेरे संग जिन्दगी अब कुछ आसां सी बनने लगी 

इसलिए तेरे साथ हर पल मोहब्बत जीने लगते है


किस्से, कहानी बन पन्नों पर जब उतरने लगते हैं

सपनों की डोली में, तब हर ख्वाब सजने लगते हैं।


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