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Vijay Kumar parashar "साखी"

Drama Inspirational

4  

Vijay Kumar parashar "साखी"

Drama Inspirational

"जीवन जीना है"

"जीवन जीना है"

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जीवन जीना है, तो जीओ सिर्फ शेरदिल इंसान की तरह

बाकी सियार तो बहुत है, मौसम में पतझड़ की तरह

मृत्यु जीवन का सत्य है, जीवन जीना है, जुगनू की तरह

व्यर्थ वासनाओं में उलझकर न मर ,कीट, पतंगों की तरह


मौत एकदिन सबको आनी, ज़माना याद रखे तेरी कहानी,

जीवन जीना है, तो जिंदादिली से जीओ, फूलों की तरह

जीवन ऐसे मत जीना, लोग हमें समझे, एक शूल की तरह

जीवन जीना है, जीओ सबको रोशनी देनेवाले सूर्य की तरह


सूर्य स्वयं जलता है, पर वो उजाला देता, ईश्वर की तरह

इस जीवन में बहुत छद्म उजाले है, निशाचरों की तह

आओ इस जीवन को निकाले हम छद्म चांद, तारों से

भीतर जलाएं सत्य दीपक, एक सच्चे मनुष्य की तरह


छोड़ दो व्यर्थ के सारे प्रलोभन, गुड़ में मक्खी की तरह

उम्र ढली, सब ही छूट जायेगा, अंगारों में राख की तरह

रखो सिर्फ मन ईश्वर में, शरीर में चलने वाली साँसों की तरह

वो दिन दूर नहीं, तुम्हें कस्तूरी मिलेगी फूल में खुशबू की तरह



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