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Goldi Mishra

Drama

4  

Goldi Mishra

Drama

बारिश की बूंद

बारिश की बूंद

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बारिश की इन बूंदों ने मानो कुछ कहा,

इस शोर में मानो कोई बेराग गीत था,

पत्तों की हथेली पर उत्साह था,

झीलों में जीवन प्रवाहित हो उठा था,

थोड़ी देर और ठहरने का कोई बहाना का

बारिश की इन बूंदों ने आहत के घाव पर मरहम दे दिया था,


मोर जो मौन अपनी सुध में था,

घुंघरू बांध वो फिर झूम उठा था,

मुसाफ़िर जो थक चुका था,

उसका रास्ता नई किरण से प्रज्वलित हो उठा था,


ये बाग ये क्यारी कब से चुप थे,

ये सावन ये बौछार आज इनके अतिथि थे,

नुक्कड़ की चाय की दुकान पर कुछ क्षण को जो रुकी,

बारिश की ये बूंद प्याले में घुल एक नया स्वाद दे गई थी,


ये बूंद एक सफ़र को तय कर आई थी,

असमान का कोई खत धारा को देने आई थी,

बारिश की ये बूंद पन्ने पर यूं ठहरी थी,

कोई ज़िक्र कोई कहानी कोई किस्सा बन गई थी,।।


ये बारिश की बूंद मुझ में मैं बन गई थी,



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