"भाई बहिन रक्षा सुमन"
"भाई बहिन रक्षा सुमन"
भाई ओर बहिन के स्नेह का सुमन
आया रे आया प्यारा पर्व, रक्षाबंधन
जब सावन पर लगता पूर्णिमा चंदन
तब मनाया जाता है, पर्व रक्षाबंधन
लगाकर बहिन, भाई के तिलक चंदन
बांधती, भ्रात कलाई धागा स्नेह बंधन
भ्रात कुशलता हेतु देती, नारियल बहिन
मुंह मीठा करवाकर, करती भ्रात वंदन
उतार आरती, देती आशीर्वाद मातृ बन
भाई भी बहिन रक्षा का देता है, वचन
ऐसा प्यारा पर्व है, अपना ये रक्षाबंधन
कहते इसको नारेली पूर्णिमा, हिंद जन
राजा बलि को बांधी राखी, मां लक्ष्मी ने,
श्री कृष्ण के बांधी चीर राखी, द्रोपदी ने
श्रीकृष्ण प्रभु ने बचाया द्रोपदी चीरहरण
तब से मनाया जा रहा, यह पर्व रक्षाबंधन
कहते इसे संस्कृत दिवस भी, सर्वजन
आज हर कलाई दिखती, राखी, उपवन
बहिनों के साथ, भुआ का भी देखो, मन
भ्रात साथ भतीजों का करती, अभिन्नदन
बहिनों से साखी का करबद्ध निवेदन
भेजे हिंद सैनिकों को भी राखी सुमन
हिंद सैनिक करते, सर्व रक्षा बिना वचन
एक राखी, उन्हें बांधे, जो है, बेजुबां पवन
