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Vijay Kumar parashar "साखी"

Drama Inspirational

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Vijay Kumar parashar "साखी"

Drama Inspirational

"खिलते हुए फूल"

"खिलते हुए फूल"

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खिलते हुए फूल बड़े ही अच्छे लगते है।

दुःखी चेहरे तो हमेशा ही हाथ मलते है।।

जलनेवाले चेहरे, बिना आग ही जलते है।

उनसे दूर रहे, तुमसे बिना बात जलते है।।

जिनके आने से फूल मुरझाया करते है।

उनसे दूर रहे, जो नकारात्मक सोचते है।।

उनकी हवा से भी दूर रहे, जो जलते है।

जलनेवाले सर्प से ज्यादा विष उगलते है।।

जलने वालो को ओर ज्यादा जलाओ।

शूलों के बीच ही गुलाब खिला करते है।।

कायर चेहरे, सदैव ही डरे हुए लगते है।

जीतते वो है, फूल जैसे सदा हंसते है।।

प्रसन्नता सीखनी, सीखो गुलाब फूलों से।

जब तक जीते, तब तक प्रसन्न ही रहते है।।

स्वयं खुश, वो दूसरों को खुश रखते है।

जलनेवाले व्यर्थ जल-जलकर मरते है।।

जितना हम जिये, प्रसन्नता से ही जिये।

रोनेवाले, नही प्रसन्न चेहरे याद रहते है।।



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