तेरे सम्मुख झुक न सकूं जो, इतना मुझमें दर्प नहीं है। तेरे सम्मुख झुक न सकूं जो, इतना मुझमें दर्प नहीं है।
पाया कौन तुम्हारा पार पाया कौन तुम्हारा पार
अपने प्राण तुम्हारे सुपुर्द कर बैठी ओ मेरे शिव, मैं सच में तुमसे प्यार कर बैठी अपने प्राण तुम्हारे सुपुर्द कर बैठी ओ मेरे शिव, मैं सच में तुमसे प्यार कर बैठ...
इस धरती पर सदियों से, अमर वही बन पाया है। इस धरती पर सदियों से, अमर वही बन पाया है।