पिघले नहीं स्वत:निज जल में
पिघले नहीं स्वत:निज जल में
पिघले नहीं स्वत:निज जल में,
एसी कोई बर्फ नहीं है।
भले विषैला होले जितना,
मनुज मनुज है सर्प नहीं है।
तेरी गोदी एक चरण धर,
मैं वामन से विष्णु बन गया।
तेरे सम्मुख झुक न सकूं जो,
इतना मुझमें दर्प नहीं है।