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Amit Singhal "Aseemit"

Abstract Inspirational

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Amit Singhal "Aseemit"

Abstract Inspirational

असीमित

असीमित

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मुझे लोगों को ये ऐलान, करने से कैसे रोकोगे,

मैं तो करूंगा।

आज से खुद को, अमित सिंहल "असीमित",

मैं तो कहूंगा।

मुझे मेरे विचारों के साथ, चलने से कैसे रोकोगे,

मैं तो चलूंगा।

आज से खुद को, अमित सिंहल "असीमित",

मैं तो कहूंगा।

मुझे मेरे अरमानों को पूरा, करने से कैसे रोकोगे,

मैं तो करूंगा।

आज से खुद को, अमित सिंहल "असीमित",

मैं तो कहूंगा।

मुझे ख़ूबसूरत ख़्वाब, देखने से कैसे रोकोगे,

मैं तो देखूंगा।

आज से खुद को, अमित सिंहल "असीमित",

मैं तो कहूंगा।

मुझे मेरे मन के गीत, गाने से कैसे रोकोगे,

मैं तो गाऊंगा।

आज से खुद को, अमित सिंहल "असीमित",

मैं तो कहूंगा।

मुझे हौसलों के पंखों के साथ,

खुले आसमान में, उड़ने से कैसे रोकोगे,

मैं तो उडूंगा।

आज से खुद को, अमित सिंहल "असीमित",

मैं तो कहूंगा।

मुझे मेरे सपनों के पीछे, भागने से कैसे रोकोगे,

मैं तो भागूंगा।

आज से खुद को, अमित सिंहल "असीमित",

मैं तो कहूंगा।

मुझे मेरे मन के साथ, दौड़ने से कैसे रोकोगे,

मैं तो दौडूंगा।

आज से खुद को, अमित सिंहल "असीमित",

मैं तो कहूंगा।

मुझे कल्पनाओं की गहराईयों में, गिरने से कैसे रोकोगे,

मैं तो गिरूंगा।

आज से खुद को, अमित सिंहल "असीमित",

मैं तो कहूंगा।

मुझे बुलंदियों के पहाड़ियों पर,

ऊपर और ऊपर, चढ़ने से कैसे रोकोगे,

मैं तो चढ़ूंगा।

आज से खुद को, अमित सिंहल "असीमित",

मैं तो कहूंगा।

मुझे नई नई शायरी, लिखने से कैसे रोकोगे,

मैं तो लिखूंगा।

आज से खुद को, अमित सिंहल "असीमित",

मैं तो कहूंगा।

मुझे ढेर सारे सपने, देखने से कैसे रोकोगे,

मैं तो देखूंगा।

आज से खुद को, अमित सिंहल "असीमित",

मैं तो कहूंगा।

मुझे पानी की धारा की तरह, बहने से कैसे रोकोगे,

मैं तो बहूंगा।

आज से खुद को, अमित सिंहल "असीमित",

मैं तो कहूंगा।

मुझे मेरी भावनाओं की दुनिया में, घूमने से कैसे रोकोगे,

मैं तो घूमूंगा।

आज से खुद को, अमित सिंहल "असीमित",

मैं तो कहूंगा।

मुझे रात को तारे, गिनने से कैसे रोकोगे,

मैं तो गिनूंगा।

आज से खुद को, अमित सिंहल "असीमित",

मैं तो कहूंगा। 

मुझे नीले समुंदर में मछलियों जैसे, तैरने से कैसे रोकोगे,

मैं तो तैरूंगा।

आज से खुद को, अमित सिंहल "असीमित",

मैं तो कहूंगा।

मुझे जी भरकर और खुलकर, हंसने से कैसे रोकोगे,

मैं तो हसूंगा।

आज से खुद को, अमित सिंहल "असीमित",

मैं तो कहूंगा।

मुझे मेरे अरमानों के गुब्बारों में हवा, भरने से कैसे रोकोगे,

मैं तो भरूंगा।

आज से खुद को, अमित सिंहल "असीमित",

मैं तो कहूंगा।

मुझे खुश रहने की हर बात, सोचने से कैसे रोकोगे,

मैं तो सोचूंगा।

आज से खुद को, अमित सिंहल "असीमित",

मैं तो कहूंगा।

मुझे मेरे अपनों के साथ,

मेरी खुशियों का खुलकर जश्न, मनाने से कैसे रोकोगे,

मैं तो मनाऊंगा।

आज से खुद को, अमित सिंहल "असीमित",

मैं तो कहूंगा।

मुझे जो भी अच्छा लगेगा, चाहने से कैसे रोकोगे,

मैं तो चाहूंगा।

आज से खुद को, अमित सिंहल "असीमित",

मैं तो कहूंगा।

मुझे किसी पर मरना होगा, मरने से कैसे रोकोगे,

मैं तो मरूंगा।

आज से खुद को, अमित सिंहल "असीमित",

मैं तो कहूंगा।

मैंने सपने देखने में कभी, कोई बंदिश नहीं मानी,

मुझे मेरा दिल जो कहेगा, मानने से कैसे रोकोगे,

मैं तो मानूंगा।

आज से खुद को, अमित सिंहल "असीमित",

मैं तो कहूंगा।

मैं हमेशा खुलकर जिया हूं,

मुझे हमेशा खुलकर, जीने से कैसे रोकोगे,

मैं तो जियूंगा।

आज से खुद को, अमित सिंहल "असीमित",

मैं तो कहूंगा।

मैं बिलकुल नहीं रुकूंगा, मैंने अब ये ठाना है,

मुझे रोक सको तो रोक लो, बढ़ने से कैसे रोकोगे,

मैं तो बढूंगा।

आज से खुद को, अमित सिंहल "असीमित",

मैं तो कहूंगा।

सपने बुनने की कोई सीमा नहीं होती,

मुझे मीठे सपने, बुनने से कैसे रोकोगे,

मैं तो बुनूंगा।

आज से खुद को, अमित सिंहल "असीमित",

मैं तो कहूंगा।

मुझे हराने के लिए तुमने, मुझे बहुत दुश्वारियां दी,

अब क्या सोचा है, जीतने से कैसे रोकोगे,

मैं तो जीतूंगा।

आज से खुद को, अमित सिंहल "असीमित",

मैं तो कहूंगा।

मुझे अब कोई ग़म न देना, वर्ना मुझे मेरी खुशी के लिए,

मुझे तुमसे लड़ना पड़ा तो, लड़ने से कैसे रोकोगे,

मैं तो लडूंगा।

आज से खुद को, अमित सिंहल "असीमित",

मैं तो कहूंगा।

न थकूंगा, न हारूंगा, न झुकूंगा, न डरूंगा,

मुझे मेरे मन में जो भी आएगा, करने से कैसे रोकोगे,

मैं तो करूंगा,

आज से खुद को, अमित सिंहल "असीमित",

मैं तो कहूंगा।

मुझे लोगों को ये ऐलान, करने से कैसे रोकोगे,

मैं तो करूंगा।


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