प्रहरी
प्रहरी
सुन ओ मैया सुन री भाभी
देख तो किसकी चिट्ठी आयी
पूरा बरस रीता ही बीता
घर आएगा मेरा भाई।
गांव भर में खबर हो गयी
मानो कि फसलें हरी हो गयीं
सावन अबकी ऐसा बरसे
न भौजाई के नैना तरसें
हुए बरस ब्याह को तीन
रहते एक दूजे के बिन
दिन भर भाभी चूल्हा करती
चुपके से सिसकियां भी भरती
मां रखती है दिल मज़बूत
जब आयेगा सीमा से पूत
आंखों का इलाज करवाएगा
उसका चेहरा भी दिख जाएगा
भेजता बचा थोड़े से पैसे
ब्याह बहन का होगा कैसे
खेतों का भी रखता ध्यान
किसान के खेत से उगा जवान
गांव में बापू खेत को पूजे
सिपाही देश मिट्टी को सींचे
सर्दी बर्फ मरुस्थल सागर
डटे सीमा पर प्रहरी बनकर
फौलादी जिनके अटल इरादे
दुश्मन को नाकों चने चबवा दें
भारत माता को करें नमन
इनसे चहुँ ओर शांति अमन
सावन में वो अलबेला आया
घर उसके संग मेला आया
फूलों से रथ सजा हुआ
तिरंगे में उसका शव ढका हुआ
शत शत नमन उन वीरों को
इस मिट्टी के रघुवीरों को
न्योछावर कर दिए अपने प्राण
देश को दे गए जीवन दान
कैसे इनको श्रद्धांजलि चढ़ाएं
कर्म कुछ हम ऐसे कर जाएं
बलिदानों का मोल चुकाएं
आओ हम भी 'भारतीय' हो जाएं।