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Anjali Sharma

Inspirational

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Anjali Sharma

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आज़ादी

आज़ादी

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दिसंबर की विषम ठण्ड में 

राधा ओढ़े मखमली रजाई 

कंपकपाती अँगुलियों को 

भाई की याद सताई।


इस राखी पर भाई की कलाई 

रह गयी फिर से खाली 

खड़ा सियाचिन की चोटी पर 

करता सीमा की रखवाली।


जहाँ चलती ऐसी बर्फीली हवाएं 

कि हड्डियां भी गल जाएँ 

वो डटा खड़ा सरहद पर 

कि बहनें आराम से सो पाएं।


चाहे हों दुर्गम परबत

या महसागर का सीना 

प्रहरी खड़े चौकन्ने 

दुश्मन बढ़ाये एक कदम भी न।


जिनके अमिट बलिदानों से 

हमने ये आज़ादी पायी 

कितने स्वतंत्रता सेनानियों ने 

देश वेदी पर जान चढ़ाई।


घरों में हम सुकून से बैठे 

पर आज़ादी का अर्थ न समझे 

न्योछावर करती सपूत जो माएं 

कोई उनसे जाकर पूछे।


एक नवजात जिसने पिता का 

चेहरा भी कभी न देखा 

एक बच्ची जिसने पिता को 

तिरंगे में लिपटा देखा।


एक पत्नी जिसके हाथों की 

मेहँदी भी अभी न सूखी 

एक पिता जिसके बुढ़ापे की अंतिम 

लाठी भी उससे छूटी।


उन दिलेर जाबांजों के

बलिदान का मोल है हमें चुकाना 

आज़ादी का सच्चा मतलब 

है सार्थक कर के दिखाना।


हो देश का माथा ऊंचा 

कुछ कर्म ऐसे कर जाएँ 

अपने अपने कार्यक्षेत्र में 

कर्मयोद्धा हम भी बन जाएँ।


शांति अमन सौहार्द से हम 

एक दूजे का साथ निभाएं 

व्यवसाय शिक्षा और चिकित्सा 

में नए कीर्तिमान बनाएं।


हर बहन बेटी माता का 

हो घर बाहर सम्मान 

कोई न सोए भूखा 

न हो जाति भेद अपमान।


हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई मिल 

देश का मान बढ़ाएं 

आज़ादी के अलबेले शहीदों 

को सच्ची श्रद्धांजलि अर्पित कर आएं।


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