वक्त
वक्त
वक्त कभी एक जगह नहीं ठहरता
न वक्त किसी का इंतज़ार करता है
वक्त गुलाम नहीं किसी का
वक्त के सब ग़ुलाम हैं लेकिन
वक्त राजा रंक बनाए
वक्त ताज दिलाए
वक्त ही ठोकरें खिलाए
वक्त की मार
बड़े-बड़े सूरमाओ को
गर्दिश में लाकर ग़र्त कर देती है
गवाह है इतिहास
कि जब भी पड़ी
वक्त की मार किसी पर
वह संभल नहीं पाए सदियों तक
बड़े-बड़े अहंकारी, दंभी
धन-बल पर गर्व करने वाले
वक्त की मार से
पहचानने के लायक भी नहीं रहे
उन्हें घुटने टेकने पर विवश कर दिया
वक्त के आगे किसी की न चली
धनी, निर्धन हो गये
शासक, गुलामी करने लगे
वक्त की मार से
अब तक न कोई बच पाया है
और न बच पाएगा कभी।