STORYMIRROR

Meenakshi Suryavanshi

Tragedy

4  

Meenakshi Suryavanshi

Tragedy

अभिमान

अभिमान

1 min
369

जिसे लोग चांद तारों में देखते तू वही विज्ञान है क्या,

मिलती रही फिर भी हार जिसे वही अभिमान है क्या?


यहां कानून न्यायधीश सब तुम्हारे ही इशारे पर चलते,

वही कानून जो कुछ भी न देखे उसकी पहचान है क्या?


इस पूरी जगह में दर्द जैसे लगते तुम्हारी ही दिए हुए हैं,

जिसकी नींव पहले से कमजोर रखी वो मकान है क्या?


आसमान में उड़ने से पहले ही पंछी के पंख काट दिए।

जहां इंसानियत का कोई भी धर्म नहीं वही इंसान है क्या?


इन सुंदर प्रकृति को काटकर बिखेर दिए चारों तरफ,

भुगत चुकी है पूरी दुनिया जिसे तू वही अंजाम है क्या?



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Tragedy