चाय और तुम
चाय और तुम
चाय की चुस्कियां लेते वक्त तुम्हारी याद आयीं
पहली शरारत भरी मुलाकात याद आयीं
बरसों से मैं यूं सहमा रहता था पर
आज तुम्हारी यादों से चेहरे पे मुस्कुराहट आयीं
तुम आंख मारते वक्त तुम हिचकिचाती नहीं
पर मैं तो अंदर से पूरी तरह हिल जाता हूं
तुम याद करती होगी मुझे यादों में पर
मैं तो यादों में भी तुमसे मिल जाता हूं
वैसे मैं जितना सीधा हूं तुम उतनी शरारती हो
तुमसे मिलने के बाद शरारत मैं भी करता हूं
पता है कि तुम मुझे खोने से डरती हो
पर मैं भी सिर्फ तुम ही पर मरता हूं
चाय पे ध्यान कहां फोन पे बातें हो रहीं हैं
शाम से बैठा हूं अब रात धीरे-धीरे हो रही है
बात सिर्फ़ मिलने की है मैं मिलने आऊंगा
तो क्या हुआ अगर बरसात हो रही है
अब तो मेरी चाय ठंडी हो रही थी पर
तुम्हारे यादों की गर्माहट बरकरार थी
आज पहली बार चाय टेबल पर छोड़ दिया
क्योंकि तुम मिलने को तैयार थी।

