विधा : सरसी छन्द गीत विधा : सरसी छन्द गीत
पानी पीता हूँ और सो जाता हूँ ये भूलकर की कल क्या होगा ? पानी पीता हूँ और सो जाता हूँ ये भूलकर की कल क्या होगा ?
एक टेबल ऐसी हो जिस पर कोई बोझ न हो... अब क़लम रखें या रखें किताब ये आपकी मर्ज़ी.... एक टेबल ऐसी हो जिस पर कोई बोझ न हो... अब क़लम रखें या रखें किताब ये आपकी मर्ज़...
आज पहली बार चाय टेबल पर छोड़ दिया क्योंकि तुम मिलने को तैयार थी। आज पहली बार चाय टेबल पर छोड़ दिया क्योंकि तुम मिलने को तैयार थी।
लेकर क्षण भर श्वास, थोड़ी सुकून की। सुनता फिर, बॉस के मन की। लेकर क्षण भर श्वास, थोड़ी सुकून की। सुनता फिर, बॉस के मन की।
जहाँ दीवारों से सफेदी झड़ती थी पर अम्मा बाबू से न लड़ती थी। दादी की एक आवाज पर छह जन दौड़े आते थे... जहाँ दीवारों से सफेदी झड़ती थी पर अम्मा बाबू से न लड़ती थी। दादी की एक आवाज पर...