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Bilal Ali Khan

Abstract

3  

Bilal Ali Khan

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टेबल

टेबल

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एक टेबल ऐसी हो जिस पर कंप्यूटर न हों...

तारो के गुच्छो में उलझी, प्रिंटर के बोझ में दबी न हों...

एक टेबल ऐसी हो जिस पर कोई बोझ न हों...

दिन भर के काम और रात के खाने के बाद जब आप उससे लगी कुर्सी पर बैठें...

तब बस आप हों और अपने आप से बात हो...

एक टेबल ऐसी हो जिस पर कोई बोझ न हो...

अब क़लम रखें या रखें किताब ये आपकी मर्ज़ी....

किताब पढ़ेगें संवर जायगें...

क़लम चलाएंगे, निखर आएंगे....

एक टेबल ऐसी हो जिस पर कोई बोझ न हों...

वहाँ सिर्फ़ आप हो और आपके ख़्यालात हों...

चाहें तो इज़हार कर दें,

या फिर........

गहरी सांस.........

एक टेबल ऐसी हो जिस ओर कोई बोझ न हो..........


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