तुम कुछ नहीं कर सकते !
तुम कुछ नहीं कर सकते !
तुम कुछ नहीं कर सकते !
जैसी एक रूहानी आवज़ा अचानक
मेरे कानों में गूंजती है और
मुझे कुछ पल के लिए
सुन्न कर जाती है,
मैं हतप्रभ होकर अपने
बंद आँखों से इधर-उधर देखता हूँ
बिस्तर से उठता हूँ
टेबल पर रखे
पानी से भरे जग को उठाता हूँ
पानी पीता हूँ
और सो जाता हूँ
ये भूलकर की कल क्या होगा ?
