प्रकृति मां
प्रकृति मां
प्रकृति पूजने की जो है परम्पराएं,
होता संरक्षण इनसे इन्हें अपनाएं।
बचेंगे तभी हम जब इनको बचाएं,
अगर भूल की तो पाएंगे यातनाएं।
सदा लाभ होगा न कुछ नुकसान
प्रकृति मां का सदा रखना है ध्यान।
आदित्य वसुधा पर जीवन का आधार
आदिकाल से इसे पूजता रहा है संसार।
सौर ऊर्जा से पृथ्वी पर चलता है जीवन,
नियंत्रित ताप रहता और चलती है पवन।
ग्रह-उपग्रह हैं परिजन यह पिता के समान
प्रकृति मां का सदा रखना है ध्यान।
धीमा मगर सतत् होता रहता है बदलाव,
मानवीय हस्तक्षेप से तीव्र होता प्रभाव।
त्रुटियां कष्ट देंगी हमें जैसे देते हैं शूल,
खतरे में होगा वजूद की हमने जो भूल।
होगा महाविनाश नहीं रखा जो ध्यान,
प्रकृति मां का सदा रखना है ध्यान।
वृक्ष रोपकर हम वसुंधरा को सजाएं,
वनोन्मूलन रोक वन्य-जीवन बचाएं।
जलवायु होगी नियंत्रित बिना आपदाएं,
झील-नदियां सभी स्रोत जल के बचाएं।
प्रकृति संवरी रहेगी तो ही बचेगी जान,
प्रकृति मां का सदा रखना है ध्यान।
