STORYMIRROR

Satya Narayan Kumar

Action

4  

Satya Narayan Kumar

Action

जब ज़रूरी युद्ध हो

जब ज़रूरी युद्ध हो

1 min
580

हे अचला !

यह कैसी युद्ध है,

जो अपनों के ही विरूद्ध है

कुरूक्षेत्र मेरी जन्मभूमि है,

जो आज़ बनी मेरी रणभूमि है


मैं असहाय और निर्बल मन से

युद्ध करू कैसे अपने ही जन से

संयम धरूं मन मैं,

नियंत्रण करूं तन मैं

वश धरूं अशांत मन मैं,

ध्यान करूं तन मैं


हे अर्जुन !

जब जरूरी युद्ध हो,

तब शंखनाद करना पड़ता है

अपने अस्तित्व को बचाने को,

हथियार उठाना पड़ता है


हे लीलाधर !

यह कैसी तेरी लीला है

महायुद्ध की कैसी ये बेला आई है

अज्ञानता और अविधा में ताऊ धृतराष्ट्र

अहंकार लोभ द्वेष में दुर्योधन भाई है


यह कैसी अनीति कुरूक्षेत्र में आईं है

आज़ भाई संग भाई की लड़ाई है

हे अर्जुन !

जब जरूरी युद्ध हो


महाभारत में होनी कैसी युद्ध है

एक पथ में पांडव, दुजे पथ कौरव भाई है

यह कैसी अनहोनी है,

युद्ध के मैदान में खड़े हमसब भाई है

प्रतिद्वंद्वी में अपने गुरु,

और अपने कंजन भाई हैं


यह धर्म स्थापना की लड़ाई है

कुरूक्षेत्र में महाकाल बनके आईं है

हे अर्जुन !

जब जरूरी युद्ध हो,

तब शंखनाद करना पड़ता है

अपने अस्तित्व बचाने को,

हथियार उठाना पड़ता है।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Action