सही मायने में आज़ादी
सही मायने में आज़ादी
बेटियों को पराया धन मत बनाओ
आज़ादी के नाम पर छलावा मत दिखाओ
उतार फेंको ये ढोंगी चोला
हर रस्म मुझ पर मत आज़माओ
सिर्फ़ पन्नों पर नहीं सही मायनों में सोच बदले समाज
तभी खुलकर जी पाएँगे बेटे बेटियाँ एक समान
आज़ादी मुझे नहीं उन लोगों के विचारों को दो
जो तुच्छ हरकतें कर बदमाम करते पूरे समाज को
बेटा बेटी ही नहीं अब बेटा बहु को भी समान आज़ादी दो
तोड़ दो बेहूदा रस्म ओ रिवाज की बेडडियाँ
खुले आसमान में इन बहुओं को भी
मुँह से पर्दा हटा चैन की साँस ले लेने दो
मुझे परम्परा में बंध तुम्हारे पाँव नहीं छूना
बिन प्रेम ये बिंदी सिन्दूर नहीं ढोना
आत्मसम्मान को ठेस न पहुँचा दिल में जगह बनाओ
रोम रोम भी झूमेगा यदि प्रेमपूर्वक मुझे नतमस्तक कराओ।
