जीवन के अवतरण में हूं हाँ मैं ही नारी कहलाती। जीवन के अवतरण में हूं हाँ मैं ही नारी कहलाती।
ख़ुशबू, फूल, उजाले औ' सूरज अपने जो पास थे, वह भी ख़ुशबू, फूल, उजाले औ' सूरज अपने जो पास थे, वह भी
रोम रोम भी झूमेगा यदि प्रेमपूर्वक मुझे नतमस्तक कराओ। रोम रोम भी झूमेगा यदि प्रेमपूर्वक मुझे नतमस्तक कराओ।