रिक्तता
रिक्तता
ख़ुशबुओं की तलाश में जो हम निकले
राहों में फूल अनगिनत खिले,
चले हम उजालों की ओर जो
सूरज आसमानों में अनेक मिले,
अपनी तलाश में जो हम निकले
तो हासिल कुछ भी न कर सके
ख़ुशबू, फूल, उजाले औ' सूरज
अपने जो पास थे, वह भी
अपने हाथों से हम गंवा बैठे।