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Satya Narayan Kumar

Tragedy

3.9  

Satya Narayan Kumar

Tragedy

रोग ऐसा: कोरोना

रोग ऐसा: कोरोना

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तूने आज़ रोग ऐसा,

ये कैसा फैला डाला है।

क्या देश और क्या विदेश,

चहुं दिशा कोरोना-कोरोना कर डाला है।


घर-घर में मातम की चीख,

मौत की चादर बिछा डाला है।

अपने और अपनों के बीच,

अदृश्य लक्ष्मण रेखा खींच डाला है।

घर में फैली आपा-धापी,

बाहर फैला गहरा सन्नाटा है।


तूने आज रोग ऐसा,

ये कैसा फैला डाला है।

तूने ऐसे कर्म किया कैसे,

ना जाने कोई।

अमानवीय खेल खेला कैसा,

न जाने कोई।

मानव जीवन को ख़तरे में डाला कैसे,

न जाने कोई।


मैंने भी घर में रहने का,

फैसला कर डाला है।

मौत के तांडव को हम भारतीयों ने,

शंखनाद कर भागा डाला है।

तेरे पाप के कोरोना की,

ईंट से ईंट बजा डाला है।


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