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Satya Narayan Kumar

Abstract

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Satya Narayan Kumar

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सपने

सपने

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कुछ सपने सजाएं।

कुछ ख़्वाब अपने बनाएं।।


कुछ हकीकत बनाएं।

कुछ सपने पुनः सजाएं।।


कुछ जज़्बात को धैर्य दिलाएं।

कुछ यूं जिंदगी बाहें फैलाएं।।


कुछ वक्त हमें सबक सीख लाएं।

कुछ अकेले चल दूर तलक जाएं।।


कुछ इस तरह हम अपनी मंजिल पाएं।

कुछ ऐसे जीतकर कि जिंदगी फिर मुस्कुराए।।



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