तेरी मेरी इक जिंद ड़ी
तेरी मेरी इक जिंद ड़ी
रास्ते मुड़ गए रास्तों पर अगर
ढूंढ लूँगा सखी मैं नई फिर डगर।
तुझसे जाऊँ कहीं बीच में जो बिछड़
तू न देना भुला, तू न देना भुला।
मंजिलें तो रहेंगी आसमां भी रहेगा।
धरती के साथ साथ
सबका वास्ता भी रहेगा।
तू न देना भुला तू न देना भुला।
थक गया हूँ बहुत
कुछ कुछ टूटा भी हूँ।
करी थी कोशिश हजार
बिखरा बार बार।
क्या करूँ क्या करूँ क्या करूँ।।
तू न देना भुला तू न देना भुला
आईना तो नहीं, देख लूँ भविष्य को
जी रहा हूँ प्राण पण से यहाँ
वर्तमान का और कितना करूँ सामना
तू न देना भुला तू न देना भुला तू न देना भुला
रास्ते मुड़ गए रास्तों पर अगर
ढूंढ लूँगा सखी मैं नई फिर डगर।
तुझसे जाऊँ कहीं बीच में जो बिछड़
तू न देना भुला , तू न देना भुला।
