दहेज कुप्रथा को सुप्रथा बनाएं।
दहेज कुप्रथा को सुप्रथा बनाएं।
सुनो यारों आज बैठे-बैठे ही,
मन में एक ये ख़्याल आया।
मन ही मन में हैरान-परेशान,
हो आज मैं सोच रहा हूं कि।
दहेज प्रथा अमीरों की प्रथा,
और गरीबों के लिए कुप्रथा।
दोस्तों-यारों ज़रा कभी आप,
सभी गम्भीरता से विचार करें।
दहेज लेना-देना कैसे हैं जरूरी,
किसने बनाया ये देकर मंजूरी।
अक्सर कुछ लालची लड़के वाले,
ही लड़की के नाम पर भीख मांगते।
चलो आओ अब हम सभी मिलकर,
आज से ये नया नियम बनाकर लागू।
करें दहेज देना लड़की वालों के लिए जरूरी,
मगर दौलत ना बहुओं के घरवालों की मंजूरी।
बेटियों की खुशियां ना कभी धन-दौलत हुई,
ओर ना ही कभी ऐशो-आराम से पूरी होती।
एक नये तरीके से शुरू करें हम सब लेना-देना,
धन-दौलत ना लड़की के मायके वाले साथ रहें ना।
