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समाज नीरस यारों मंत्रमुग्ध मंजूरी नहीं अच्छी कविता धन-दौलत खता मायके हवा भीख सुनो खुशहाली नियम की दहेज बैठे-बैठे ही लापरवाही दावा रिश्ते

Hindi मंजूरी Poems