मेरे सपनों का भारत हो स्वर्ग से सुंदर चलो हम कुछ बेहतर करें। मेरे सपनों का भारत हो स्वर्ग से सुंदर चलो हम कुछ बेहतर करें।
और छूट गए थे सब अपने और छूट गए थे सब अपने
बांसुरी से निकलने वाली धून तो सबने सुनी पर बांसुरी क्या कहती कहती है ये बताती हुई कविता बांसुरी से निकलने वाली धून तो सबने सुनी पर बांसुरी क्या कहती कहती है ये बताती हु...
बिन फेरे हम तेरे हुए ना समाज की यहाँ मंजूरी है, मांग बेशक़ भरा नहीं फिर भी रंगे ये द बिन फेरे हम तेरे हुए ना समाज की यहाँ मंजूरी है, मांग बेशक़ भरा नहीं फिर ...
हाँ, मंजूर हैं तू पुरा मुझे, पर वादा तेरी मंजूरी की करना।। हाँ, मंजूर हैं तू पुरा मुझे, पर वादा तेरी मंजूरी की करना।।
चलो आओ अब हम सभी मिलकर, आज से ये नया नियम बनाकर लागू। चलो आओ अब हम सभी मिलकर, आज से ये नया नियम बनाकर लागू।