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somya mohanty

Abstract

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somya mohanty

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बिन फेरे हम तेरे

बिन फेरे हम तेरे

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बिन फेरे हम अब तेरे हुए

ना समाज की यहाँ मंजूरी है,

बेशक़ ये मांग भरा नहीं

फिर भी प्यार के रंगे गहरा है , ,

ना इन्तजार करना तू कोई मौसम का

 ना वक़्त बेवक़्त एहसास को दिल में छुपाना

हैं हमसफ़र ,हम अब तेरे दिल के

   बस हर राह में , मेरे कदम को इज़ाज़त तुम देना . .




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